Saturday 15 May 2010

इश्क़


है चाहत इश्क़, यह प्यारा है इश्क़
सबब जीने का हमारा है इश्क़

दिलों में बसता है ढ़ूंढने से क्या हासिल
इस गोल सी दुनिया का किनारा है इश्क़

डूबते हो तिनका भी नज़र आए साहिल
अंधेरी राज में जलता हुआ तारा है इश्क़

दिल तो खोया हुआ है कब से इसके पहलू में
हमने इस दिल में जबसे उतारा है इश्क़

है चाहत इश्क़, यह प्यारा है इश्क़
सबब जीने का हमारा है इश्क़

तेरा बोला हुआ एक लफ्ज़ कयामत ला दे
और चाहत भरा पैगाम तुम्हारा है इश्क़

सिर्फ एहसास है पाकीज़ा खयालातों का
ये जाँ देकर भी जानेजाना गवांरा है इश्क़

कदम तो बढ़ते हैं सदा मंजिल के पाने को
कभी जीता कभी तक़दीर का मारा है इश्क़

है चाहत इश्क़, यह प्यारा है इश्क़
सबब जीने का हमारा है इश्क़

हम तो जाना इसे होटो से ही पढ़ लेते हैं
तेरे रूख्सार पर लिखा हुआ सारा है इश्क़

इसे बनाने में ज़रूर खुदा की मर्ज़ी है
अपने ईनाम से उसने ही सवांरा है इश्क़

ये एक पल नहीं सदियों में बनाया होगा
चीज़ दुनिया की नहीं आसमान से आया होगा
किसी अवतार ने फुर्सत से उतारा है इश्क़

है चाहत इश्क़, यह प्यारा है इश्क़
सबब जीने का हमारा है इश्क------------ 
- ये गजल  शाहनवाज़ सिद्दीकी साहब ने लिखा है

3 comments:

Anonymous said...

बहुत खूब

अजय कुमार said...

हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

मै ममता said...
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