नमस्ते ! मै सुरेन्द्र !
इस यात्रा में यात्री मिलेंगे कुछ दोस्त बन कर यात्रा पूरा करेंगे तो कुछ एक छोटी सोच को लेकर मतलब झगड़कर के लेकिन यात्रा तो सब का पूरा होता है यात्रा के बाद जो बदलाव होता है वो होता है जीवन में की गयी कमाई ! जब हम यात्रा में बस दो पल के लिए एक दुसरे से मिलते है तो फिर हम दोस्त बन कर कियो नहीं रह सकते है इस दो पल में
क्योकि आज जरूरत है दोस्त बन के रहने की, झगड़कर किसी का उनती नहीं हो सकता है
जीवन की इस यात्रा में सब से दोस्त बन के मिलो दोस्त बनाने से किसी को किसी तरह का समस्या नहीं होता है हर एक नए दोस्त एक नयी जीवन का बिचार देता है एक बिछड़ता दोस्त आनुभव देता है लेकिन कपटी दोस्त सीख !
"किसी ब्यक्ति का संस्कार ही दिखता है समाज में की कोन कितना अच्छा है"