Friday 29 January 2010

प्यार में जलना या जालना दोनों गलत है परन्तु प्यार में दुःख सहना ही पड़ता है ! मेरे दोस्त !


मैने प्यार का एक दिया जलाए है, क्या खूब सुलगता है
हम तुम चाहे जल भी जाए, ये दिया सदा सुलगता रहे
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इश्क़ में तेरी ये कैसी जुदाई है आई
वक़्त की ये है कैसे रुसवाई
हवओ का आँधी में रूप बदला कैसे
ये बिन बदल बरसात सनम पे आई कैसे
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इश्क़ मैं तूने दुनिया गावा दी, ये चीज़ अजब निराली है
इश्क़ किया है तो जान हाथले पे रख ले, ये ज़ंग निराली है
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हमने आप को दोस्त समझा, पाय किया, साथ दिया
जो बन पड़ा वो सब किया, पर बेवफ़ाई का आपने सिला दिया
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आप नियत ने बर्बाद किया इस समा को, आप ने दुखाया उनकी वफ़ा को
आप क्या सिला देंगे, ए! बेरहम, आप ने रुलाया बहुत मासूमो को
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दिलासा तूने जो दिया न होता, तो हम आपना जीना दुशवर कर देते
तनहाई में जे जे के इस्कदर, हम तो आपना मारना दुशवर कर देते
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इस दिल ने तुझे चाहा है, इबददात है तू मेरी
नाज़ुक यह दिल है मेरा, रखना हिफ़ाज़त से इसे
यह इश्क़ तुझसे एक वादा है, रूठना न मुझसे कभी
दिल लिया है जान भी ले ले , है तू ही ज़िंदगी मेरी

2 comments:

Deejay said...

abe sale tu to writer ban gaya .....

HUME APKA KHYAL HA said...

saale, tu kab se ye kar raha hai.............
payar karta hai to bata dia kar warna zindgi bhar aise rah zayega.