Friday, 13 January 2017

जीवन का एक सच

इन्सान अपनी ईच्छाओं का त्याग करता है, और पुरी जिन्दगी नौकरी, ब्यपार और धन कमाने में बिता देता है। 60 वर्ष की ऊम्र के बाद, जब वो रिटायर्ड {Retired} होता है तो उसे उसका फन्ड {Funds} मिलता है। या बैंक  बैलेंस  होता हैं  तब तक जीवन  बदल चुकी होती है, परिवार को चलाने वाले बच्चे जाते हैं क्या इन बच्चों को इस बात का अन्दाजा लग पायेगा की इस फन्डया बैंक बैलेंस के लियेकितनी इच्छायें अधूरी रही होगी हैं?, कितनी तकलीफें झेली होंगी ?,कितनें सपनें अधूरे रहे होंगे?  अपनी सारी जिन्दगी घर से बाहर रहकर पैसे कमाने में लगा दी और जब वह कुछ करने लायक नहीं रहे तो अपने घर वापस जाते हैं। ऐसे पैसे किस काम के जिसे पाने के लिये पूरी जिन्दगी लगाई जाय और उसका इस्तेमाल खुद कर सके। “इस धरती पर कोई ऐसा आमीर अभी तक पैदा नहीं हुआ जो बीते हुए समय को खरीद सके।"हमेशा सकारात्मक सोच रखें और अपनी जीवन को अपनी तरह से अपने अंदाज में जियें। ------ये सब मैं ने कही पढ़ा था   

ये मेरा सोच है----"आपके के लिए कोई क्या सोचता हैं ये कोई मायने नही रखता हैं 
                           लेकिन आप आपने बारे में क्या सोचते ये मायने रखता है" 

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