Tuesday, 21 December 2010

तुम्हे कैसे भुला दू ?



तुम्हे भूलना मजबूरी हैं मेरी

जीतकर भी हारना कमजोरी हैं मेरी 

सोचता हु क्या नाम दू इसे 

मरने से भी बत्तर, ये जो ज़िन्दगी है मेरी !

रिश्ते और नाते अब सब सपने से लगते है

बेगानो से न जाने अब आप अपने क्यों लगते है

डर है कही अपने आप को न खो दू 

 अपने भी अब अजनबी से लगते है

Sunday, 19 September 2010

लड़कियों की तकलीफ आवारा बादल के जैसा होता है ?


एक बेहद कड़वा सच जिसे कोई मानना नही चाहता ! शायद हमें अपनी निगाह में ख़ुद गिर जाने का डर, इसे याद न रखने को विवश करता है !

17-18 साल की होते होते, माँ बाप सोचने लगते हैं कि १-२ साल में गुडिया के विवाह के बाद यह खर्चा तो कम हो ही जाएगा ! उस गुडिया के कमरे पर, कब्ज़ा करने की कईयों की इच्छा, ख़ुद माँ का यह कहना कि गुडिया के शादी के बाद, यह कमरा खाली हो जाएगा, इसमे बेटा रह लेगा, किताबों को बाँध के टांड पर रख दो और स्टडी टेबल अपने भाई के बेटे को देने पर, इस कमरे में जगह काफी निकल आयेगी !

यह वही बेटी थी, जो पापा की हर परेशानी की चिंता रखती और हर चीज समय से याद दिलाती थी, उसके पापा को कलर मैचिंग का कभी ध्यान नही रहता, इस पर हमेशा परेशान रहने वाली लडकी, सिर्फ़ 18 साल की कच्ची उम्र में, सबको इन परेशानियों से मुक्त कर गयी !

यह वही बहन थी जो पूरे हक़ और प्यार के साथ, खिलखिला खिलखिला कर, अपने भाई के जन्मदिन की तैयारी पापा, माँ से लड़ लड़ कर, महीनों पहले से करती थी ! रात को ठीक 12 बजे पूरे घर की लाइटें जला कर हैप्पी बर्थडे की धुन बजाने वाली लडकी, एक दिन यह सारी उछल कूद छोड़कर, गंभीरता का दुपट्टा ओढाकर विदा कर दी गयी .....और साथ में एक शिक्षा भी कि अब बचपना नहीं, हर काम ढंग से करना ऐसा कुछ न करना जिसमे तुम्हारे घर बदनामी हो !

कौन सा घर है मेरा ... ?? नया घर जहाँ हर कोई नया है, जहाँ उसे कोई नही जानता या वह घर, जहाँ जन्म लिया और 17-18 साल बाद विदा कर दी गयी ! जिस घर से विदाई के बाद, वहां एक कील ठोकने का अधिकार भी उसे अपना नही लगता ! और जिस घर को मेरा घर.. मेरा घर.. कहते जबान नही थकती थी उस घर से अब कोई बुलावा भी नही आता ! क्या मेरी याद किसी को नही आती... ऐसा कैसे हो सकता है ? फिर मेरा कौन है ... उस बेटी के पास रह जाती हैं दर्द भरी यादें ... और अब वही बेटी, अपनी डबडबाई {आंसू भरी } ऑंखें छिपाती हुई, सोचती रहे ...

किस घर को अपना बोलूं ?
मां किस दर { घर } को अपना मानूं
भाग्यविधाता ने क्यों मुझको जन्म दिया है, नारी का !
बड़े दिनों के बाद आज भैया की याद सताती है
पता नहीं क्यों सावन में पापा की यादें आती है !

शादी के पहले दूसरे साल तक बेटी के घर त्योहारों पर कुछ भेंट आदि लेकर जाने के बाद, उस बच्ची की ममता और तड़प को भूल कर, अपनी अपनी समस्याओं को सुलझाने में लग जाते हैं ! कोई याद नही रखता अपने घर से विदा की हुई बच्ची को ! धीरे धीरे इसी बेटी को अपने ही घर में, मेहमान का दर्जा देने का प्रयत्न किया जाता है, और ड्राइंग रूम में बिठाकर चाय दी जाती है !

तुम सब भले भुला दो लेकिन मैं वह घर कैसे भूलूं ?
तुम सब भूल गए भइया ! पर मैं, वे दिन कैसे भूलूं ?
बड़े दिनों के बाद आज , उस घर की यादें आती हैं !
पता नहीं क्यों आज मुझे मां तेरी यादें आती हैं !

हम अपने देश की संस्कारों की बाते करते नही थकते है हम अपने घर के सबसे सुंदर और कमज़ोर धागे को टूटने से बचाने के लिए , उसकी सुरक्षा के लिए कोई उपाय नही करते ! आज आवश्यकता है कि बेटे से पहले बेटी के लिए वह सब दिया जाए जिसकी सबसे बड़ी हकदार बेटी है !

Friday, 10 September 2010

प्यार का हिस्सा !


पतंगा बार - बार जलता है
दिये के पास जाकर
फिर भी वो जाता है
क्योकि प्यार मर - मिटना भी सिखाता है

निराशा म्रत्यु के बराबर है
उम्मीद जीवन है बल्कि उम्मीद ही जींदगी है
जंहा जिंदगी है वंहा उम्मीद है
जंहा जींदगी भी नहीं इसलिए हमेशा आपने मन
में उम्मीद का दीप जलाकर रखना चाहिए


Friday, 20 August 2010

मेरा सोच


"साथ रहते -रहते यूही वक्त गुजर जाएगा
दूर होने के बाद कौन किसे याद आएगा

जी लो ये पल हम साथ है

कल का क्या पता वक्त कहाँ ले जाएगा"

Saturday, 15 May 2010

इश्क़


है चाहत इश्क़, यह प्यारा है इश्क़
सबब जीने का हमारा है इश्क़

दिलों में बसता है ढ़ूंढने से क्या हासिल
इस गोल सी दुनिया का किनारा है इश्क़

डूबते हो तिनका भी नज़र आए साहिल
अंधेरी राज में जलता हुआ तारा है इश्क़

दिल तो खोया हुआ है कब से इसके पहलू में
हमने इस दिल में जबसे उतारा है इश्क़

है चाहत इश्क़, यह प्यारा है इश्क़
सबब जीने का हमारा है इश्क़

तेरा बोला हुआ एक लफ्ज़ कयामत ला दे
और चाहत भरा पैगाम तुम्हारा है इश्क़

सिर्फ एहसास है पाकीज़ा खयालातों का
ये जाँ देकर भी जानेजाना गवांरा है इश्क़

कदम तो बढ़ते हैं सदा मंजिल के पाने को
कभी जीता कभी तक़दीर का मारा है इश्क़

है चाहत इश्क़, यह प्यारा है इश्क़
सबब जीने का हमारा है इश्क़

हम तो जाना इसे होटो से ही पढ़ लेते हैं
तेरे रूख्सार पर लिखा हुआ सारा है इश्क़

इसे बनाने में ज़रूर खुदा की मर्ज़ी है
अपने ईनाम से उसने ही सवांरा है इश्क़

ये एक पल नहीं सदियों में बनाया होगा
चीज़ दुनिया की नहीं आसमान से आया होगा
किसी अवतार ने फुर्सत से उतारा है इश्क़

है चाहत इश्क़, यह प्यारा है इश्क़
सबब जीने का हमारा है इश्क------------ 
- ये गजल  शाहनवाज़ सिद्दीकी साहब ने लिखा है

Friday, 12 February 2010

वैलेंटाइन पर बताएगी चिड़या कि कैसा पति मिलेगा...................सुरेन्द्र


क्या आप कुंवारी हैं और जानना चाहती हैं कि आपका होने वाला पति कैसा होगा? तो इस बार सुबह जाग कर खिड़की से बाहर का नजारा देखिए। जो चिड़िया सबसे पहले दिखेगी, उसी के आधार पर यह बताया जा सकेगा कि आपका विवाह कैसे व्यक्ति से होने वाला है। यह कोई कपोल-कल्पना नहीं, बल्कि रोमन और ग्रीक काल के चिड़ियों पर किए सदियों पुराने अध्ययन ऐसा दावा करते हैं। उनके मुताबिक वैलेंटाइन डे पर कुंवारी लड़की द्वारा देखी गई पहली चिड़िया उसके भावी पति के बारे संकेत करती है।

वरसेस्टरशायर के पर्यटन विशेषज्ञों ने यूरोपीय, मध्यकालीन अमेरिकी और देसी अमेरिकी लोक कथाओं के विशेषज्ञों की सलाह के बाद एक गाइड तैयार की है। इसमें विभिन्न पक्षियों को देखने के बाद भावी पति के कार्य क्षेत्र के बारे में बताया गया है। गाइड कहती है कि कुंवारी लड़कियों को वैलेंटाइन डे पर सुबह नदी के किनारे या ऐसी जगह जाना चाहिए जहां पर ढेरों पक्षी हों।

पक्षी वैज्ञानिक स्टीव ह्वाइटहाउस के अनुसार, 'मेरी पत्नी से मुलाकात भी पक्षियों को देखने के दौरान हुई थी।' जानिए क्या कहती है आपके लव बर्ड के बारे में क्या कहती है पक्षी विशेषज्ञों की गाइड :

कबूतर : शादीशुदा जिंदगी खुशहाल बीतेगी।

राबिन : उसकी आय का जरिया पानी से होगा यानी नेवी अधिकारी या मछुआरा।

गौरैया : जमीन से जुड़ा का काम करने वाला यानी किसान या पर्यावरणविद।

ब्लूबर्ड : दूसरों के चेहरे पर मुस्कान लाने वाला यानी हंसमुख।

कठफोड़वा : शादी होने की कोई संभावना नहीं।

बतख : उसके साथ आपका संबंध घरेलू और स्थायी होगा।

शिकारी चिड़िया, जैसे बाज या उल्लू : बिजनेसमैन, राजनीतिक या नेता होगा।

किंगफिशर : वह अपने जन्मस्थान पर लौटेगा।

ब्लैक बर्ड : वह धर्मार्थ या आध्यात्मिक कामों में शामिल होगा।

Friday, 29 January 2010

प्यार में जलना या जालना दोनों गलत है परन्तु प्यार में दुःख सहना ही पड़ता है ! मेरे दोस्त !


मैने प्यार का एक दिया जलाए है, क्या खूब सुलगता है
हम तुम चाहे जल भी जाए, ये दिया सदा सुलगता रहे
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इश्क़ में तेरी ये कैसी जुदाई है आई
वक़्त की ये है कैसे रुसवाई
हवओ का आँधी में रूप बदला कैसे
ये बिन बदल बरसात सनम पे आई कैसे
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इश्क़ मैं तूने दुनिया गावा दी, ये चीज़ अजब निराली है
इश्क़ किया है तो जान हाथले पे रख ले, ये ज़ंग निराली है
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हमने आप को दोस्त समझा, पाय किया, साथ दिया
जो बन पड़ा वो सब किया, पर बेवफ़ाई का आपने सिला दिया
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आप नियत ने बर्बाद किया इस समा को, आप ने दुखाया उनकी वफ़ा को
आप क्या सिला देंगे, ए! बेरहम, आप ने रुलाया बहुत मासूमो को
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दिलासा तूने जो दिया न होता, तो हम आपना जीना दुशवर कर देते
तनहाई में जे जे के इस्कदर, हम तो आपना मारना दुशवर कर देते
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इस दिल ने तुझे चाहा है, इबददात है तू मेरी
नाज़ुक यह दिल है मेरा, रखना हिफ़ाज़त से इसे
यह इश्क़ तुझसे एक वादा है, रूठना न मुझसे कभी
दिल लिया है जान भी ले ले , है तू ही ज़िंदगी मेरी